खबरीलाल टाइम्स, बिहार डेस्क :लुधियाना न्यूज़ केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राजीव सभा में लुधियाना से सांसद संजीव अरोड़ा द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में 199 मामले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT), 32 मामले सुप्रीम कोर्ट और 70 मामले उच्च न्यायालय में लंबित हैं। ये मामले पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) अधिसूचना, 2006 और इसके संशोधनों के तहत परियोजनाओं या गतिविधियों के अनुपालन से संबंधित हैं, जिन्हें प्राथमिक पर्यावरण मंजूरी (EC) प्राप्त करने के लिए योग्य माना गया है।

मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और वन तथा अन्य राष्ट्रीय संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के त्वरित और प्रभावी निपटारे के लिए 2010 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) अधिनियम पारित किया था। सरकार कानूनी अड़चनों को सुलझाने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।

हाल ही में, मंत्रालय ने पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए कई सुधार किए हैं, जिनमें PARIVESH (एकल खिड़की पोर्टल) को उन्नत करना और EIA अधिसूचना 2006 में संशोधन करना शामिल है। साथ ही, राज्य पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरणों (SEIAA) को खनन, सिंचाई और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अधिकार सौंपे गए हैं, और सार्वजनिक सुनवाई प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है।

इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पर्यावरणीय मंजूरी केवल उस समय दी जाती है जब संबंधित परियोजना या गतिविधि को अधिसूचना में वर्णित विस्तृत प्रक्रिया का पालन करके मंजूरी दी जाती है।

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