खबरीलाल टाइम्स डेस्क : भारत सरकार राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर जल जीवन मिशन (जेजेएम) – हर घर जल को कार्यान्वित कर रही है ताकि देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल जल कनेक्शन के माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) निर्धारित गुणवत्ता (बीआईएस: 10500) के साथ नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा सके ।
अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत में केवल 3.23 करोड़ (16.8%) ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध थे। अब तक जैसा कि 09.03.2025 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बताया गया है जल जीवन मिशन के अंतर्गत लगभग 12.28 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण घरों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार 09.03.2025 तक देश के 19.42 करोड़ ग्रामीण घरों में से, 15.51 करोड़ (79.91%) से अधिक घरों में उनके घरों में नल का पानी आपूर्ति होने की सूचना है।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं व्यक्तियों द्वारा सकारात्मक प्रभावों का मूल्यांकन किया जा रहा है। इनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अनुमान लगाया है कि जल जीवन मिशन के पूरा होने पर प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक समय की बचत होगी, जो अन्यथा घरेलू जरूरतों, मुख्य रूप से महिलाओं के लिए जल संग्रह करने में खर्च होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह भी अनुमान लगाया है कि देश के सभी घरों में सुरक्षित रूप से पेयजल मुहैया करने से डायरिया रोगों से होने वाली लगभग 400,000 मौतों को रोका जा सकता है जिससे लगभग 14 मिलियन विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) की बचत होगी।
नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया है और निष्कर्ष निकाला है कि यदि सभी घरों में सुरक्षित जल उपलब्ध हो जाए, तो पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में लगभग 30% की कमी आएगी, जिससे प्रतिवर्ष 1,36,000 लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ मिलकर जारी की गई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन से जल जीवन मिशन के पूंजीगत व्यय चरण के दौरान 59.9 लाख व्यक्ति-वर्ष प्रत्यक्ष और 2.2 करोड़ व्यक्ति-वर्ष अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा। इसके अलावा, मिशन के संचालन और रखरखाव से 13.3 लाख व्यक्ति-वर्ष प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की संभावना है।
निर्मित बुनियादी ढांचे की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, भुगतान करने से पहले तीसरे पक्ष के निरीक्षण के माध्यम से गुणवत्ता सामग्री और गुणवत्ता निर्माण सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण समुदायों और पंचायतों के बीच स्वामित्व की भावना पैदा करने के लिए जल आपूर्ति प्रणालियों से संबंधित सभी निर्णयों में ग्राम स्तर की योजना और सामुदायिक भागीदारी के पहलुओं को जल जीवन मिशन में शामिल किया गया है। ग्रामीण समुदाय की भागीदारी के लिए मिशन के तहत की गई कुछ प्रमुख पहलों को इस प्रकार सूचीबद्ध किया गया है:
ग्राम पंचायतों की लगभग 5.30 लाख उप-समितियां/उपयोगकर्ता समूह जैसे ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) या पानी समिति, जिनमें कम से कम 50% महिला सदस्य हैं और समाज के वंचित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व है का गठन गांव में जलापूर्ति प्रणाली की योजना बनाने कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव के लिए किया गया है।
फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के माध्यम से पानी के नमूनों की जांच के लिए प्रत्येक गांव से पांच महिलाओं की पहचान की गई और उन्हें प्रशिक्षित किया गया और अब तक 24.81 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है और 2024-25 में अब तक एफटीके के माध्यम से 89.55 लाख से अधिक नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है।
देश भर में 14,000 से अधिक गैर सरकारी संगठन/वीओ/महिला एसएचजी/सीबीओ/ट्रस्ट/फाउंडेशन जिन्हें आईएसए कहा जाता है, गांव में जलापूर्ति प्रणालियों और योगदान की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव के सभी स्तरों पर सामुदायिक भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए लगे हुए हैं।
अन्य योजनाओं जैसे कि मनरेगा, ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी)/पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को 15वें वित्त आयोग के अनुदान, एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी), राज्य योजनाएं, सांसद/विधायक-एलएडी निधि, जिला खनिज विकास निधि, सीएसआर निधि, सामुदायिक अंशदान आदि के साथ स्थानीय पेयजल स्रोतों के संवर्धन और सुदृढ़ीकरण के प्रावधान भी जल जीवन मिशन के अंतर्गत किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, जलापूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव के मुद्दे के समाधान के लिए, जल जीवन मिशन के अंतर्गत योजना के शुरू होने के बाद चरणबद्ध तरीके से समुदाय को उनके संबंधित ग्राम जलापूर्ति योजना पर पूंजीगत व्यय के 10% के बराबर पुरस्कृत/प्रोत्साहित करने तथा उपयोगकर्ता शुल्क वसूलने का भी प्रावधान किया गया है।
जल राज्य का विषय है इसलिए राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को समय-समय पर जल गुणवत्ता की जांच करने और जहां भी आवश्यक हो, सुधारात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घरों में आपूर्ति किया जाने वाला पानी स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए निर्धारित गुणवत्ता का हो। इसके अलावा, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जल गुणवत्ता के लिए पानी के नमूनों की जांच करने और नमूना संग्रह, रिपोर्टिंग, निगरानी और पेयजल स्रोतों की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन जेजेएम – जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमआईएस) पोर्टल विकसित किया गया है।
घरों से निकलने वाले ग्रे-वाटर/अपशिष्ट जल के उपचार के लिए, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण के तहत जेजेएम फंड का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में सोख्ता गड्ढे बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
राज्यों ने सूचित किया है कि जल संकटग्रस्त, सूखाग्रस्त और रेगिस्तानी क्षेत्रों में भरोसेमंद पेयजल स्रोतों की कमी, भूजल में भू-जीनिक प्रदूषकों की उपस्थिति, विषम भौगोलिक भूभाग, बिखरी हुई ग्रामीण बस्तियां, कुछ राज्यों में राज्य के हिस्से के बराबर राशि जारी करने में देरी, कार्यान्वयन एजेंसियों, ग्राम पंचायतों और स्थानीय समुदायों के पास जलापूर्ति योजनाओं की योजना बनाने, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव के लिए तकनीकी क्षमता की कमी, कच्चे माल की बढ़ती कीमत, वैधानिक/अन्य मंजूरी प्राप्त करने में देरी आदि मिशन के कार्यान्वयन में आने वाली कुछ समस्याएं हैं।
चुनौतियों का समग्र रूप से समाधान करने के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं,जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ पूंजी निवेश परियोजनाओं के लिए 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता के लिए वित्त मंत्रालय के माध्यम से पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता का कार्यान्वयन; राज्यों को वैधानिक/अन्य मंजूरी प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्रीय नोडल मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों के साथ समन्वय करने के लिए विभाग में एक नोडल अधिकारी का नामांकन; राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयों (एसपीएमयू) और जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयों (डीपीएमयू) की स्थापना और कार्यक्रम प्रबंधन के लिए तकनीकी कौशल और मानव संसाधन की उपलब्धता में अंतर को पाटने के लिए गांव स्तर पर कुशल स्थानीय व्यक्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ” नल जल मित्र कार्यक्रम ” का कार्यान्वयन शामिल है।
इसके अलावा, विशेष रूप से पेयजल उपलब्धता के लिए स्थायी जल प्रबंधन के महत्व को स्वीकार करते हुए, जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (जेएसए: सीटीआर) को 2023 में “पेयजल के लिए स्रोत स्थिरता ” थीम के साथ लागू किया गया है। इसी तरह, 2024 में, जेएसए को ” नारी शक्ति से जल शक्ति” विषय के साथ लागू किया गया है ।
यह जानकारी आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री वी. सोमण्णा द्वारा दी गई।