खबरीलाल टाइम्स डेस्क : निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के साथ, हमारी जिम्मेदारी अब नियंत्रक की नहीं, बल्कि सुविधाकर्ता की है
“शांति का समय भ्रम के अलावा कुछ नहीं है। सापेक्षिक शांति के समय भी, हमें अनिश्चितता के लिए तैयार रहना चाहिए। अचानक घटनाक्रमों के कारण हमें अपनी वित्तीय और परिचालन स्थिति में पूर्ण बदलाव करने पड़ सकते हैं”
रक्षा व्यय को गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए: रक्षा मंत्री
“हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि निर्णय तेजी से लिए जाएं ताकि हम यहीं भारत में बड़े इंजनों का निर्माण शुरू कर सकें
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 07 जुलाई, 2025 को नई दिल्ली में रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) के नियंत्रक सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता और वित्तीय दक्षता को दुरूस्त करने में विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में प्रदर्शित वीरता और घरेलू उपकरणों की क्षमता के प्रदर्शन ने स्वदेशी उत्पादों की वैश्विक मांग को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया हमारे रक्षा क्षेत्र को नए सम्मान के साथ देख रही है। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में एक भी देरी या त्रुटि सीधे परिचालन तैयारियों को प्रभावित कर सकती है। श्री सिंह ने रक्षा में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के साथ तालमेल बिठाते हुए डीएडी को ‘नियंत्रक’ से ‘सुविधाकर्ता’ के रूप में विकसित होने का भी आह्वान किया।
श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में चल रहे परिवर्तन का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया, जिनके मार्गदर्शन में देश आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ा है और रक्षा नियोजन, वित्त तथा नवाचार में संरचनात्मक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “हम जो उपकरण पहले आयात करते थे, उनमें से अधिकांश अब भारत में ही बनाए जा रहे हैं। हमारे सुधार उच्चतम स्तर पर दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता की स्पष्टता के कारण सफल हो रहे हैं।”
रक्षा मंत्री ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2024 में बढ़ते वैश्विक सैन्य व्यय के 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का उल्लेख किया और कहा कि इससे भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योगों के लिए जबरदस्त अवसर खुलते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री के ‘रक्षा में आत्मनिर्भरता’ पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत के उद्योगों को वैश्विक मांग में बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए और निर्यात तथा नवाचार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि निर्णय तेजी से लिए जाएं ताकि हम यहीं भारत में बड़े इंजनों का निर्माण शुरू कर सकें और यह काम भारतीयों के हाथों से शुरू हो।” उन्होंने उन्नत स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र के बढ़ते सामरिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए रक्षा व्यय को महज व्यय के रूप में देखने की धारणा को बदलने का आह्वान किया और कहा कि इसे गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हाल तक, रक्षा बजट को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में नहीं देखा जाता था। आज, वे विकास के चालक हैं।” उन्होंने कहा कि भारत, बाकी दुनिया के साथ, पुनः शस्त्रीकरण के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसकी विशेषता रक्षा क्षेत्र में पूंजी निवेश है। उन्होंने विभाग से आग्रह किया कि वे अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के सामाजिक प्रभाव विश्लेषण सहित अपनी योजना और आकलन में रक्षा अर्थशास्त्र को शामिल करें।
रक्षा मंत्री श्री सिंह ने एक लाख करोड़ रुपये की बजट के साथ हाल ही में शुरू की गई अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना का भी उल्लेख किया, जो रक्षा क्षेत्र के नवाचार और उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी की खरीद को प्राथमिकता देता है। उन्होंने रक्षा विभाग को इस तरह की परियोजनाओं (खासकर स्टार्ट-अप, एमएसएमई और निजी क्षेत्र से) के सुचारू कार्यान्वयन और समय पर वित्त पोषण सुनिश्चित करने में सक्रिय सहायक बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि पहली बार रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पूंजी के माध्यम से हथियार प्रणालियों के अधिग्रहण को मंजूरी दी है। इसके साथ ही उन्होंने विभाग से इस बदलाव से संबंधित वित्तीय गतिविधियों के लिए तैयार रहने का आग्रह भी किया।
श्री राजनाथ सिंह ने विभाग के नए आदर्श वाक्य ‘सतर्क, चुस्त, अनुकूल’ की प्रशंसा की और कहा कि ये महज शब्द नहीं हैं, बल्कि आज के तेजी से विकसित हो रहे रक्षा माहौल में आवश्यक कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने अधिकारियों से केवल बाहरी ऑडिट या सलाहकारों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिरीक्षण के माध्यम से आंतरिक सुधार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आंतरिक मूल्यांकन के जरिए किए गए सुधार जीवंत संगठन बनाते हैं। ये सुधार अधिक जैविक हैं, जिनमें बाधाएं कम हैं।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “शांति का समय भ्रम के अलावा कुछ नहीं है। अपेक्षाकृत शांत अवधि के दौरान भी, हमें अनिश्चित परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। अचानक होने वाले घटनाक्रम हमारी वित्तीय और परिचालन स्थिति में पूर्ण बदलाव ला सकते हैं। चाहे वह उपकरण उत्पादन को बढ़ाना हो या वित्तीय प्रक्रियाओं को अनुकूलित करना हो, हमें हर समय नवीन तकनीकों और उत्तरदायी प्रणालियों के साथ तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने रक्षा विभाग से आग्रह किया कि वे अपनी योजना, बजट और निर्णय लेने की प्रणालियों में इस मानसिकता को शामिल करें।
श्री राजनाथ सिंह ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के जरिए सार्वजनिक खरीद में बदलाव के बारे में विस्तार से बात की, जिससे पारदर्शिता और निजी क्षेत्र की भागीदारी आसान हुई है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024-25 तक जीईएम के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की है, और पारदर्शिता तथा दक्षता सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत वित्तीय सलाहकारों (आईएफए) और सक्षम वित्तीय अधिकारियों (सीएफए) से इसका अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया।
रक्षा मंत्री ने स्पर्श (पेंशन प्रशासन प्रणाली – रक्षा) प्लेटफॉर्म की शुरुआत और उसके प्रभाव की सराहना की, जिसने 32 लाख से अधिक रक्षा पेंशनभोगियों को पारदर्शी और फेसलेस पेंशन वितरण प्रणाली के तहत जोड़ा है। उन्होंने कहा, “स्पर्श के माध्यम से हर महीने करोड़ों रुपये वितरित किए जाते हैं। जब मैं अपने दिग्गजों के लिए ऐसी प्रणालियों को काम करते देखता हूं, तो यह पुष्टि होती है कि हमारी ताकत सिर्फ बजट के आंकड़ों में नहीं, बल्कि उनके बलिदान के प्रति हमारी कृतज्ञता में निहित है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि कि सेना के दिग्गजों की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है, न कि कोई उपकार।
श्री राजनाथ सिंह ने व्यापक वेतन प्रणाली और केंद्रीकृत डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली जैसी आगामी डिजिटल पहलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये पहल वेतन और कार्मिक डेटा प्रबंधन को सरल बनाएगी और सेवाओं में तेज़, वास्तविक समय पर निर्णय लेने में सहायता करेगी। उन्होंने रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र के लिए विज़न दस्तावेज़ और रोडमैप पर विभाग के काम का स्वागत किया। इसके साथ ही, उन्होंने समय पर कार्यान्वयन और आवश्यकता पड़ने पर सुधार करने की क्षमता बढ़ाने का आग्रह किया।
रक्षा मंत्री ने रक्षा विनिर्माण में निजी खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विभाग से फेसलेस और समयबद्ध भुगतान प्रणाली की ओर बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आपकी प्रक्रिया जितनी अधिक कुशल और पारदर्शी होगी, हमारी प्रणाली में विश्वास उतना ही अधिक बढ़ेगा।”
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विभाग की प्रक्रियाओं में छोटी-छोटी गलतियों के भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “आप जिस जगह काम कर रहे हैं, वहां अगर आप एक छोटी सी भी गलती करते हैं, तो सैनिकों को समय पर जरूरी संसाधन नहीं मिल पाएगा। हमारी लापरवाही के कारण बजट आवंटन में दिक्कत आ सकती है और इसका सीधा असर ऑपरेशनल तत्परता पर पड़ेगा।”
रक्षा मंत्री ने पिछले वित्तीय वर्ष में पूंजीगत बजट का पूरा उपयोग करने के लिए रक्षा सचिव और सीजीडीए को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि विभाग आगे भी इसी तरह का वित्तीय अनुशासन बनाए रखेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वित्तीय नियोजन में न केवल बजट वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, बल्कि दक्षता आधारित विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि सही उद्देश्य के लिए सही समय पर सही तैनाती सुनिश्चित हो सके।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “आइए हम सभी सतर्क, चुस्त और अनुकूलनशील बने रहने का संकल्प लें, ताकि हमारा काम प्रासंगिक और प्रभावशाली बना रहे। हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है और हम जो भी निर्णय लेते हैं, वह राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के व्यापक दृष्टिकोण में योगदान देता है।” उन्होंने सम्मेलन के एजेंडे की भी सराहना की, जिसमें परिवर्तन प्रबंधन, बजट, आंतरिक लेखा परीक्षा, खरीद, उद्योग भागीदारी और क्षमता निर्माण पर सत्र शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण विज़न दस्तावेज़, मिशन स्टेटमेंट, नया आदर्श वाक्य, मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट 2025 का दूसरा संस्करण और संशोधित रक्षा लेखा कोड का विमोचन था।
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) श्री एसजी दस्तीदार और रक्षा लेखा महानियंत्रक डॉ. मयंक शर्मा भी उपस्थित रहे।