खबरीलाल टाइम्स, दिल्ली डेस्क: परीक्षाएं अक्सर छात्रों और उनके परिवारों के लिए तनाव का स्रोत होती हैं, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की ‘‘परीक्षा पे चर्चा’’ (पीपीसी) पहल इस नैरेटिव को बदलती जा रही है। 10 फरवरी, 2025 को सुबह 11 बजे निर्धारित इस वर्ष की पीपीसी एक बार फिर एक संवादात्मक मंच के रूप में काम करेगी, जहां प्रधानमंत्री सीधे छात्रों और उनके माता-पिता, शिक्षकों के साथ संवाद करेंगे। पीपीसी के प्रत्येक संस्करण में परीक्षा से संबंधित चिंता से निपटने के लिए अभिनव तरीकों पर रोशनी डाली जाती है, जिससे सीखने और जीवन के प्रति एक उत्सवपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाने के लिए बढ़ावा मिलता है।

रिकॉर्ड तोड़ने वाली पीपीसी 2025

10 फरवरी 2025 को निर्धारित पीपीसी का 8वां संस्करण पहले ही एक नया मानदंड स्थापित कर चुका है। 5 करोड़ से अधिक भागीदारी के साथ, इस वर्ष का कार्यक्रम एक जन आंदोलन के रूप में अपनी स्थिति को दर्ज कराएगा, जो सीखने के सामूहिक रूप से जश्‍न मनाने को प्रेरित करेगा। इस वर्ष, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 36 छात्रों का चयन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बोर्ड के सरकारी स्कूलों, केंद्रीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, सीबीएसई और नवोदय विद्यालय से किया गया है। परीक्षा पे चर्चा 2025 में सात ज्ञानवर्धक एपिसोड होंगे, जो छात्रों को जीवन और सीखने के आवश्यक पहलुओं पर मार्गदर्शन देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की प्रख्‍यात हस्तियों को एक साथ लाएंगे। प्रत्येक एपिसोड निम्‍नलिखित प्रमुख विषयों को संबोधित करेगा:

  • खेल और अनुशासन – एमसी मैरीकॉम, अवनी लेखारा और सुहास यतिराज अनुशासन के जरिए लक्ष्य निर्धारण, संघर्ष क्षमता और तनाव प्रबंधन पर चर्चा करेंगे।
  • मानसिक स्वास्थ्य – दीपिका पादुकोण भावनात्मक कल्याण और आत्म-अभिव्यक्ति के महत्व पर बल देंगी।
  • पोषण – विशेषज्ञ शोनाली सभरवाल, रुजुता दिवेकर और रेवंत हिमात्सिंगका (खाद्य किसान) स्वस्थ खान-पान की आदतों, नींद और समग्र कल्‍याण पर रोशनी डालेंगे।
  • प्रौद्योगिकी एवं वित्त – गौरव चौधरी (तकनीकी गुरुजी) और राधिका गुप्ता प्रौद्योगिकी को एक ज्ञानार्जन टूल और वित्तीय साक्षरता के रूप में केसे इस्‍तेमाल किया जाए, इसके बारे में बताएंगे।
  • रचनात्मकता और सकारात्मकता – विक्रांत मैसी और भूमि पेडनेकर छात्रों को सकारात्मकता विकसित करने और नकारात्मक विचारों को प्रबंधित करने के लिए प्रेरित करेंगे।
  • एकाग्रता और मानसिक शांति – सद्गुरु मानसिक स्पष्टता और ध्यान के लिए व्यावहारिक माइंडफुलनेस तकनीकों से परिचित कराएंगे।
  • सफलता की कहानियां – यूपीएससी, आईआईटी-जेईई, सीएलएटी, सीबीएसई, एनडीए, आईसीएसई और पिछले पीपीसी प्रतिभागियों के टॉपर्स बताएंगे कि कैसे पीपीसी ने उनकी तैयारी और मानसिकता को आकार दिया
वर्षों का सफर

2024: राष्ट्रव्यापी भागीदारी

29 जनवरी, 2024 को आयोजित पीपीसी का सातवां संस्करण माई गॅव MyGov पोर्टल पर 2.26 करोड़ पंजीकरणों के साथ व्यापक था, जो कार्यक्रम की भारी लोकप्रियता और प्रासंगिकता को दर्शाता है। पहली बार, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के 100 छात्रों ने भाग लिया, जो इस पहल की समावेशिता का प्रतीक है। यह कार्यक्रम भारत मंडपम, आईटीपीओ, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में टाउन-हॉल प्रारूप में आयोजित किया गया था, जिसमें छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और कला उत्सव के विजेताओं सहित लगभग 3,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया था।

2023: भागीदारी का विस्तार

पीपीसी का छठा संस्करण 27 जनवरी 2023 को तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बातचीत की और सभी हितधारकों को अपने बहु-मूल्य सुझाव दिए। इस कार्यक्रम का कई टीवी चैनलों और यूट्यूब चैनलों पर सीधा प्रसारण किया गया। 718110 छात्रों, 42337 कर्मचारियों और 88544 अभिभावकों ने पीपीसी-2023 का सीधा प्रसारण देखा। छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ माननीय प्रधानमंत्री की बातचीत सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक, प्रेरक और विचारोत्तेजक थी।

2022: आमने-सामने बैठकर बातचीत करने की वापसी

1 अप्रैल 2022 को तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में पीपीसी का 5वां संस्करण आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बातचीत की और उन्हें अपने बहु-मूल्य सुझाव दिए। 9,69,836 छात्रों, 47,200 कर्मचारियों और 1,86,517 अभिभावकों ने परीक्षा पे चर्चा-2022 का सीधा प्रसारण देखा। कार्यक्रम का कई टीवी चैनलों और यूट्यूब चैनल आदि द्वारा सीधा प्रसारण किया गया।

2021: वर्चुअल संपर्क

कोविड-19 महामारी के कारण, पीपीसी का चौथा संस्करण 7 अप्रैल 2021 को ऑनलाइन आयोजित किया गया। महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, इस तरह की बातचीत ने छात्रों और उनके परिवारों को प्रेरित करना जारी रखा। छात्रों को अनिश्चित समय से निपटने में मदद करने के लिए जीवन कौशल सिखाने, संघर्ष क्षमता और अनुकूलनशीलता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

2020: भागीदारी का विस्तार

20 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम का अनूठा टाउन हॉल प्रारूप था, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री ने विद्यालयी छात्रों से सीधे बातचीत की। इस कार्यक्रम ने छात्रों के लिए एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के साथ अपने दायरे को व्यापक बनाया, जिसमें 2.63 लाख प्रविष्टियां प्राप्त हुईं। देश भर के छात्रों और विदेशों में रहने वाले 25 देशों से भारतीय छात्रों ने इसमें भाग लिया। इस कार्यक्रम ने चुनौतियों को सफलता की सीढ़ियों के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

2019: बढ़ती पहुंच

29 जनवरी, 2019 को पीपीसी का दूसरा संस्करण उसी स्थान पर आयोजित किया गया, जिसमें भागीदारी का स्तर और भी अधिक बढ़ा। नब्बे मिनट से अधिक समय तक चली इस बातचीत में छात्र, शिक्षक और अभिभावक सहज दिखे, हंसे और प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर बार-बार तालियां बजाईं, जिसमें हास्य और हाजिरजवाबी का भी पुट था।

2018: पहली बार हुई बातचीत

पहली बार परीक्षा पे चर्चा 16 फरवरी, 2018 को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित की गई। 16 फरवरी, 2018 को तालकटोरा स्टेडियम में विद्यालयों और महाविद्यालयों के 2500 से अधिक विद्यार्थी मौजूद थे और देश भर के 8.5 करोड़ से अधिक छात्रों ने डीडी/टीवी चैनलों/रेडियो चैनलों पर कार्यक्रम देखा या सुना। प्रधानमंत्री ने समग्र विकास, संघर्ष क्षमता और परीक्षा के दौरान संतुलन बनाए रखने के महत्व पर बल दिया। इस कार्यक्रम की सफलता ने भविष्य के संस्करणों के लिए माहौल तैयार किया।

परीक्षा पे चर्चा का असर

पिछले कुछ वर्षों में, पीपीसी परीक्षा से संबंधित तनाव को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के उद्देश्य से एक अवसर के रूप में विकसित हुआ है। वास्तविक प्रश्नों को संबोधित करके और कार्रवाई योग्य समाधान पेश करके, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नीति और व्यवहार के बीच की खाई को पाट दिया है, जिसने छात्रों को दबाव में रहकर भी अच्‍छा करने और उन्‍हें सशक्‍त बनाने का काम किया है। इस कार्यक्रम की समावेशिता, डिजिटल पहुंच और अभिनव तरीके देश में छात्र जुड़ाव की आधारशिला के रूप में इसकी निरंतर सफलता सुनिश्चित करते हैं। प्रत्येक बीतते वर्ष के साथ, पीपीसी इस संदेश को और मजबूती प्रदान करती है कि परीक्षाएं अंत नहीं, बल्कि एक शुरुआत हैं!

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