खबरीलाल टाइम्स, पंजाब डेस्क: किसानों को फसल अवशेष/धान की पराली को जलाने की बजाय उचित प्रबंधन के बारे में जानकारी देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, तरनतारन द्वारा आईटीआई कैड गिल में एक जागरूकता सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार का संचालन मुख्य कृषि अधिकारी तरनतारन ने किया। इसे हरपाल सिंह पन्नूजी के निर्देशन में यादविंदर सिंह ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर ने स्थापित किया था।

सेमिनार की शुरुआत अधीक्षक रघबीर सिंह ने की। उन्होंने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। जिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के छात्रों को संबोधित करते हुए यादविंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने छात्रों को फसल अवशेष/पराली न जलाने के बारे में जागरूक किया। , मित्र कीट मर जाते हैं तथा मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। पराली जलाने से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और जहरीले धुएं से गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए वातावरण में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने छात्रों को बताया कि जो किसान आलू और मटर लगाना चाहते हैं वे बेलर से पुआल की गांठें बना सकते हैं या धान की कटाई के बाद पुआल को मल्चर से जमाकर रिवर्सेबल हल से जमीन में दबा सकते हैं पराली जलाने से नाइट्रोजन, फास्फोरस, सल्फर, पोटाश जैसे आवश्यक तत्व और कार्बनिक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और फिर हमें रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करना पड़ता है जिससे कृषि लागत बढ़ जाती है।

एक एकड़ पराली जलाने से हमें करीब तीन हजार रुपये का नुकसान होता है। दस क्विंटल या एक टन पुआल जलाने से 400 किलोग्राम कार्बनिक पदार्थ, 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश, 1.2 किलोग्राम सल्फर का नुकसान होता है। इस अवसर पर यादविंदर सिंह ने प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ बुनियादी अनाजों के रखरखाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बुनियादी अनाजों को अपने आहार का हिस्सा बनाना चाहिए। अंत में आईटीआई प्रभारी श्रीमती नीरू बाला ने मुख्य अतिथि एवं विद्यार्थियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर श्रीमती नीरू बाला प्रभारी, रघबीर सिंह अधीक्षक, श्रीमती आरती, श्रीमती सिमरनजीत कौर, श्रीमती अमनदीप कौर, श्रीमती मनप्रीत कौर ड्रेस मेकिंग, श्रीमती मनप्रीत कौर एसओटी और प्रदत सिंह सोशल वर्कर उपस्थित थे।

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