खबरीलाल टाइम्स डेस्क :  अधिकारों को कर्तव्यों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, डॉ. वीरेंद्र कुमार

मुंबई विश्वविद्यालय ने भारत के कानूनी और सामाजिक परिदृश्य को आकार दिया है: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव, अमित यादव

भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने आज मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित ‘संविधान अमृत महोत्सव’ में एक सभा को संबोधित किया। अपने मुख्य भाषण में डॉ. कुमार ने संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर से प्रेरित सामाजिक न्याय, समानता और सशक्तिकरण के आदर्शों को आगे बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया

डॉ. कुमार ने वंचितों के उत्थान तथा डॉ. अंबेडकर के समावेशी विकास और समानता के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए निरुपित की गई अनेक पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ” डॉ. अंबेडकर के योगदान और राष्ट्र के लिए उनके दृष्टिकोण पर शोध को बढ़ावा देने के लिए सरकार अन्य विश्वविद्यालयों की तरह ही मुंबई विश्वविद्यालय में ‘अंबेडकर पीठ’ स्थापित करेगी।” उन्होंने छात्रों की सहायता के लिए विश्वविद्यालय में दो नए छात्रावास स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की। इसके अतिरिक्त, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वंचित समुदायों के छात्रों की तैयारी में सहायता करने की सरकार की पहल के तहत मुंबई विश्वविद्यालय में एक समर्पित कोचिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा। यह कदम अन्य संस्थानों में इसी तरह के केंद्रों के सफल कार्यान्वयन को देखते हुए उठाया जा रहा है।

डॉ. कुमार ने अपने संबोधन में नशा मुक्त भारत अभियान के तहत भारत के युवाओं से अपील की कि वे मादक पदार्थों के सेवन से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाएं और न केवल खुद की बल्कि अपने समुदायों की भी रक्षा करें।

मुंबई विश्वविद्यालय से डॉ. भीमराव अंबेडकर के गहरे जुड़ाव, जहां उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की पर विचार करते हुए डॉ. कुमार ने कहा, “इसी संस्थान में एक छात्र से लेकर हमारे संविधान के निर्माता बनने तक की डॉ. अंबेडकर की यात्रा भारत के लिए उनके दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता का प्रमाण है। उनके कार्य ने केवल कानूनी ढांचा ही प्रदान नहीं किया, बल्कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की भी परिकल्पना की जो आज भी सरकार की नीतियों की मार्गदर्शक शक्ति है।”

डॉ. कुमार ने कहा कि संविधान केवल मौलिक अधिकारों की ही गारंटी नहीं देता, बल्कि कर्तव्यों पर भी जोर देता है। उन्होंने कहा, “हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि जब हम अपने अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को भी समान रूप से अपनाना चाहिए। डॉ. अंबेडकर के सपनों के लोकतंत्र को सही मायने में साकार करने के लिए यह संतुलन आवश्यक है।” केंद्रीय मंत्री ने डॉ. अंबेडकर के इस विश्वास को दोहराते हुए अपनी बात समाप्त की कि “सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र अधूरा है” और इन आदर्शों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी ।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव श्री अमित यादव ने अपने संबोधन में कहा, “यह आयोजन भारत के कानूनी और सामाजिक विकास में मुंबई विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इस विश्वविद्यालय से निकले सबसे बेहतरीन नेताओं में से थे, जिन्होंने न केवल यहां डिग्री हासिल की, बल्कि अध्यापन भी किया और अपने पीछे बदलाव की विरासत छोड़ गए।.”

इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री श्री चंद्रकांत पाटिल, मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक श्री अनिल कुमार पाटिल भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक शामिल हुए।

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