खबरीलाल टाइम्स डेस्क : राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) ने 14 अक्टूबर 2025 को लखनऊ स्थित योजना भवन में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया जिसमें राज्य की सांख्यिकीय प्रणाली का अवलोकन किया गया। इस संवादात्मक सत्र का मुख्य उद्देश्य आधिकारिक आंकड़ों की गुणवत्ता, समयबद्धता और पद्धतिगत एकरूपता में सुधार लाना और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लिए एक पारदर्शी और सुदृढ़ आकलन प्रक्रिया सुनिश्चित करना था।

इस संवाद में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर, आयोग के सदस्य प्रो. ए. गणेश कुमार, प्रो. देबाशीष कुंडू और श्री असित कुमार साधु के साथ-साथ सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के सदस्य सचिव डॉ. सौरभ गर्ग भी शामिल हुए। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख अधिकारियों ने भी इसमें भाग लिया। आयोग ने सांख्यिकी की विश्वसनीयता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए पद्धतिगत विकास और क्षमता निर्माण के महत्व पर ज़ोर दिया।

बैठक की शुरुआत आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) की निदेशक श्रीमती अलका बहुगुणा ढौंडियाल के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने विकसित उत्तर प्रदेश और  भारत @2047 के विज़न को साकार करने में सटीक, विस्तृत और समयबद्ध आंकड़ों के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य के विकासात्मक लक्ष्यों की योजना बनाने, निगरानी करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए विश्वसनीय आंकड़े आवश्यक हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (योजना) श्री आलोक कुमार ने राज्य के एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (ओटीडी) मिशन की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करने के मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण को साझा किया और समर्थ यूपी पोर्टल, परिवार पहचान पत्र डेटाबेस और महिला आर्थिक सशक्तिकरण (डब्ल्यूईई) सूचकांक सहित कई चल रही पहलों पर प्रकाश डाला। इन उपायों का उद्देश्य आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है।

आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) टीम द्वारा दिए गए प्रस्तुतियों में राज्य द्वारा अपने सांख्यिकीय बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने में की गई प्रगति को दर्शाया गया। तकनीकी सत्रों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अनुमान में सुधार, जिला घरेलू उत्पाद (डीडीपी) की तैयारी और समग्र दृष्टिकोण के लिए प्रशासनिक एवं सर्वेक्षण आंकड़ों के उपयोग पर चर्चा की गई। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों से आर्थिक गतिविधि का आकलन करने की पद्धति और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) तथा असंगठित क्षेत्र उद्यमों पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एएसयूएसई) के लिए पायलट सर्वेक्षणों पर प्रस्तुतियां दी गईं।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने प्रशासनिक आंकड़ों को एकीकृत करने, डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने और सांख्यिकीय प्रक्रिया में कार्यप्रणालीगत पारदर्शिता में सुधार लाने के महत्व पर ज़ोर दिया ताकि हमारे आंकड़े विस्तृत, उच्च आवृत्ति वाले, विश्वसनीय और समयबद्ध हों। उन्होंने कहा कि प्रभावी शासन और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए आंकड़ों के स्रोतों का सामंजस्य, जीआईएस और डैशबोर्ड जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग और उपयोगकर्ताओं के लिए आंकड़ों की सुलभता अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपनी सांख्यिकीय प्रणाली के आधुनिकीकरण और विभिन्न विभागों में डेटा प्रणालियों के एकीकरण हेतु की गई पहलों की सराहना की। उन्होंने राज्य को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सहयोग से आकलन विधियों को और बेहतर बनाने, नमूनाकरण डिज़ाइनों को सुदृढ़ करने और एकसमान मानकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। आयोग ने राज्य को सांख्यिकीय संकलन में कार्यप्रणाली की सटीकता बढ़ाने और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर तकनीकी मार्गदर्शन और सहायता का आश्वासन दिया।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और राज्य योजना विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद, वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (एएसआई), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस), और मूल्य सांख्यिकी सहित प्रमुख सांख्यिकीय क्षेत्रों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों पक्षों ने जिला स्तर पर आंकड़ों की विस्तृत जानकारी में सुधार और तत्क्षण निगरानी एवं प्रसार को सक्षम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का विस्तार करने के महत्व पर बल दिया।

इस संवाद में सर्वोत्तम प्रणालियों और नवाचारों, जैसे कि महिला आर्थिक सशक्तिकरण सूचकांक, परिवार पहचान पत्र पहल और शिकायत निवारण एवं कार्यक्रम निगरानी डैशबोर्ड पर भी चर्चा हुई। इन पहलों को एकीकृत डेटा प्रबंधन और बेहतर सेवा वितरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के सदस्यों ने इन प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ये इस बात के उदाहरण हैं कि समावेशिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए डेटा का प्रभावी ढंग से कैसे उपयोग किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. केवी राजू और मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने समापन सत्र में साक्ष्य-आधारित योजना और डेटा-संचालित शासन के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता दोहराई और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा दिए गए बहुमूल्य मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता के लिए सराहना की।

बैठक का समापन राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर की टिप्पणियों के साथ हुआ जिन्होंने एक मज़बूत और पारदर्शी सांख्यिकीय प्रणाली के निर्माण के लिए राज्य की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने संस्थागत क्षमता निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति की है और यथार्थवादी एवं साक्ष्य-आधारित रुझानों को प्रतिबिंबित करने के लिए राज्य के सकल घरेलू उत्पाद अनुमान में निरंतर पद्धतिगत सुधारों के महत्व पर बल दिया।

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