खबरीलाल टाइम्स डेस्क : मिथिला राज्य पर दिए गए विवादित बयान को सांप्रदायिक और असंवेदनशील बताते हुए पार्टी ने की माफी की माँग, बाबा विद्यापति की जन्मस्थली की दुर्दशा पर भी जताई चिंता।

बिस्फी के विधायक द्वारा मिथिला राज्य के गठन को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। विधायक ने कथित तौर पर कहा कि “मिथिला राज्य अलग बनने से यह मुस्लिम राज्य बन जाएगा”, जिसे लेकर मिथिलावादी पार्टी ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश भारद्वाज ने इस बयान को मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता पर सीधा प्रहार बताया। उन्होंने कहा कि, “ऐसे बयान समाज में फूट डालने की कोशिश हैं। मिथिला, महाकवि विद्यापति की भूमि है, जहाँ सभी समुदायों ने सदीयों से मिल-जुलकर जीवन जिया है।”

मिथिलावादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को बाबा विद्यापति की जन्मस्थली का दौरा किया, जहाँ उन्हें ऐतिहासिक स्थल की हालत बदहाल मिली। प्रतिनिधियों ने कहा कि यह उपेक्षा प्रशासनिक असंवेदनशीलता को दर्शाती है और मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

पार्टी ने तीन प्रमुख माँगें रखी हैं:

  1. विधायक अपने बयान के लिए तुरंत सार्वजनिक रूप से माफी माँगें।
  2. बाबा विद्यापति की जन्मस्थली समेत मिथिला की सभी सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
  3. मिथिला की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करने के लिए सभी समुदायों के साथ समावेशी प्रयास किए जाएँ।
अध्यक्ष श्री भारद्वाज ने यह भी दोहराया कि मिथिलावादी पार्टी मिथिला राज्य की माँग को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी विभाजनकारी राजनीति का डटकर विरोध करेगी। इस मौके पर प्रदेश प्रभारी श्री गोपाल चौधरी, श्री अशोक जी, श्री अंकित जी और श्री शिवेंद्र जी समेत कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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