ज़िला भाषा कार्यालय, एस.ए.एस. नगर में विश्व पंजाबी प्रचार सभा, चंडीगढ़ तथा अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सथ, चंडीगढ़ के सहयोग से प्रो. केवलजीत सिंह कंवल के काव्य-संग्रह ‘ज़िंदगी के वरके’ का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त ज़िला भाषा अधिकारी डॉ. दविंदर सिंह बोहा ने की। अध्यक्ष मंडल में विश्व पंजाबी प्रचार सभा, चंडीगढ़ के अध्यक्ष प्रिं. बहादर सिंह गोसल तथा अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सथ, चंडीगढ़ के अध्यक्ष सरदार राजविंदर सिंह गड्डू शामिल रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ भाषा विभाग, पंजाब की विभागीय ध्वनि ‘धनु लेखारी नानका’ के साथ किया गया।
खोज अधिकारी डॉ. दर्शन कौर ने सभी उपस्थितजनों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके उपरांत अध्यक्ष मंडल द्वारा श्रोताओं की उपस्थिति में काव्य-संग्रह ‘ज़िंदगी के वरके’ का औपचारिक रूप से लोकार्पण किया गया।
विचार-चर्चा के दौरान अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. दविंदर सिंह बोहा ने कहा कि ‘ज़िंदगी के वरके’ में जीवन के सुख-दुख, संघर्ष, आशा-निराशा, प्रेम तथा अन्य संवेदनशील भावों को अत्यंत सरलता, गहराई और सच्चाई के साथ अभिव्यक्त किया गया है। पुस्तक की प्रत्येक कविता पाठक को केवल पढ़ने तक सीमित नहीं रखती, बल्कि आत्ममंथन के लिए भी प्रेरित करती है।
प्रिं. बहादर सिंह गोसल ने कहा कि इस संग्रह की हर कविता जीवन के किसी न किसी पृष्ठ को खोलकर सामने रखती है, जिसमें पाठक अपने अनुभवों की छाया भी देख सकता है। उन्होंने लेखक को भविष्य में भी ऐसी सशक्त रचनाएँ लिखते रहने के लिए प्रेरित किया।
सरदार राजविंदर सिंह गड्डू ने कहा कि इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी भाषा है, जो सरल, सहज और भावपूर्ण होने के साथ-साथ आम मनुष्य के जीवन से गहराई से जुड़ी हुई है। कवि ने बिना किसी बनावट के अपने अंतर्मन की भावनाओं को काग़ज़ पर उकेरा है।
पूर्व डिप्टी डायरेक्टर श्री राज कुमार साहोवालिया ने शोधपरक पत्र पढ़ते हुए पुस्तक पर विस्तार से चर्चा की और ‘ज़िंदगी के वरके’ की शायरी में निहित मानवीय संवेदनाओं की सराहना करते हुए लेखक को बधाई दी।
विचार-चर्चा में बलकार सिंह सिद्धू, पाल अजनबी और सरबजीत सिंह ने भी सार्थक योगदान दिया। इस अवसर पर बाबू राम दीवाना, ध्यान सिंह काहलों, मनजीत कौर मीत, जगतार सिंह ‘जोग’, रतन बाबनवाला, स्वर्णजीत सिंह शिवी, दर्शन सिंह सिद्धू, मैडम बलजीत कौर, सरदार मनजीत सिंह मझैल, मैडम रजिंदर रेनू, पन्ना लाल मुस्तफाबादि और सुरिंदर कुमार ने पुस्तक ‘ज़िंदगी के वरके’ से कविता-पाठ किया।
अंत में लेखक प्रो. केवलजीत सिंह कंवल ने चर्चा के दौरान व्यक्त विचारों से सहमति जताते हुए अपनी कई कविताएँ श्रोताओं के साथ साझा कीं।
इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में सरदार गुरमेल सिंह, रजिंदर कौर, हरविंदर कौर, बलविंदर सिंह, मनजीत सिंह तथा स्टेनोग्राफी के प्रशिक्षु भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के समापन पर आए हुए अतिथियों का सम्मान और धन्यवाद किया गया। मंच संचालन श्री राज कुमार साहोवालिया ने कुशलतापूर्वक किया। इस अवसर पर ज़िला भाषा कार्यालय की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई।