खबरीलाल टाइम्स डेस्क : श्री पाटिल ने कहा : जलज का उद्देश्य संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक अवसर पैदा करना और नदी पुनरुद्धार प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना है

जल शक्ति मंत्री ने जलज के तहत विकसित अभिनव मॉडलों की सराहना की और अन्य प्रमुख नदी घाटियों में सफल तौर-तरीकों को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया

जलज पहल के तहत नौ राज्यों के 42 जिलों में 5,000 से नाविक समुदाय के सदस्यों को सशक्त बनाया है और 2,400 से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की है

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल ने भारतीय वन्यजीव संस्थान की आजीविका-केंद्रित परियोजना जलज की प्रगति का आकलन करने के लिए एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तत्वावधान में जलज कार्यक्रमसरकार के अर्थ गंगा विजन का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह कार्यक्रम लोगों को स्थायी आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से नदियों से जोड़ता है। आजीविका पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथइस परियोजना का उद्देश्य जलीय जैव विविधता संरक्षण के प्रति सामाजिक जागरूकता पैदा करना है।

श्री सीआर पाटिल ने इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए जोर देकर कहा कि जलज का उद्देश्य संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक अवसर पैदा करना और नदी कायाकल्प प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना है। जलज ने गंगा बेसिन में इको-टूरिज्मसतत खेतीकौशल विकास और कारीगरों के उत्पादन को बढ़ावा देकर नदी संरक्षण को आजीविका सृजन से सफलतापूर्वक जोड़ा है। इस पहल का उद्देश्य डॉल्फिन सफारीहोमस्टेआजीविका केंद्र और जागरूकता और बिक्री केंद्र आदि जैसे विभिन्न मॉडलों के साथ 75 जलज केंद्र स्थापित करना है। जलज ने नौ राज्यों के 42 जिलों में 5,000 से अधिक नाविक समुदाय के सदस्यों को सशक्त बनाया है और 2,400 से अधिक महिलाओं का सहयोग किया है।

समीक्षा में यह बात सामने आई कि जलज का उद्देश्य नदी और समुदायों के बीच सहजीवी सम्बंध बनाना है और लोगों को संरक्षित गंगा नदी के मूल्यों के बारे में शिक्षित करने में मदद करना है। समीक्षा में कहा गया कि जलज ने यूट्यूब चैनल सहित डिजिटल और प्रिंट मीडिया के माध्यम से 263 प्रशिक्षण कार्यक्रम और जन संपर्क प्रयास किए हैं। नदी संरक्षण एक आर्थिक रूप से फायदेमंद प्रयास साबित हो सके इसके लिए श्री सीआर पाटिल ने जलज की आजीविका क्षमता को और बढ़ाने के प्रयासों की समीक्षा की और समुदायों को नदी इको-सिस्टम से जोड़ने वाले माध्यम के रूप में इसकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने जलज के तहत विकसित किए गए अभिनव मॉडलों की सराहना की और गोदावरीपेरियारपम्पा और बराक जैसी अन्य प्रमुख नदी घाटियों में सफल प्रथाओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया और बैठक में इनके इकोलॉजिकल आकलन की भी समीक्षा की गई।

आउटरीच और जागरूकता को और मजबूत करने के लिएश्री सी.आर. पाटिल द्वारा एक समर्पित जलज सूचनात्मक वेबसाइट लॉन्च की गई। यह वेबसाइट व्यापक संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करती हैजो होमस्टेडॉल्फिन सफारीआजीविका प्रशिक्षण केंद्र और जागरूकता और बिक्री केंद्रों जैसे विभिन्न जलज मॉडलों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। इस पर सफलता की वह कहानियां  भी हैं जो बताती हैं कि किस प्रकार जलज पहल ने समुदाय के सदस्योंविशेष रूप से महिलाओं को विपणन केंद्रों से जोड़कर कैसे सशक्त बनाया है। वेबसाइट पर गंगा प्रहरियों द्वारा तैयार किए गए पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की एक श्रृंखला है और इसका उद्देश्य गंगा नदी डॉल्फिनमगरमच्छमीठे पानी के कछुए और जल पक्षियों सहित खतरे में पड़ी जलीय जैव विविधता के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करना है।

इसके अतिरिक्तजलज उत्पाद सूची का शुभारंभ किया गयाजिसे जलज उत्पादन केंद्रों में तैयार किए गए स्थायी रूप से उत्पादित वस्तुओं की रूपरेखा तैयार की गई है। इन्हें स्टेशनरी आइटमगृह सज्जापरिधानबॉडी और स्किनकेयर और खाद्य पदार्थों में वर्गीकृत किया गया है। इसके अलावाजलज के तहत एक विशेष फीचर “सांस्कृतिक लहरें” का विमोचन श्री सीआर पाटिल द्वारा किया गया। ये विशेष फीचर गंगा नदी के सांस्कृतिक इको सिस्टम सेवा मूल्य पर प्रकाश डालता है और भारत की विरासतपरंपराओं तथा लाखों लोगों की आजीविका के साथ इसके गहरे सम्बंध पर जोर देता है। जलज की सफलता को व्यापक रूप से मान्यता मिली है। माननीय राष्ट्रपति ने गज उत्सव 2023 के दौरान इसकी सराहना कीऔर माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने “मन की बात” संबोधन और आईसीसीओएन 2023, मैसूर में मीठे पानी के संरक्षण के लिए जलज का एक मॉडल के रूप में उल्लेख किया।

पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास एक साथ करना अर्थ गंगा का मूल उद्देश्य रहा है। इस सपने को साकार करने में जलज पहल आज सही मायने में संरक्षण प्रयासों को आजीविका सृजन के साथ जोड़कर एक ज्वलंत उदाहरण बन गई है।

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