खबरीलाल टाईम्स न्यूज़ डेस्क : 21 मई को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की उड़ान को बीच रास्ते में गंभीर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पायलट ने नजदीकी और अपेक्षाकृत शांत क्षेत्र – पाकिस्तान के एयरस्पेस – में कुछ समय के लिए प्रवेश की अनुमति मांगी, लेकिन पाकिस्तान ने यह आग्रह ठुकरा दिया।

इस घटना में विमान पर सवार 200 से अधिक यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती थी, लेकिन पायलट की सूझबूझ और वैकल्पिक रूट से उड़ान जारी रखने के कारण विमान सुरक्षित श्रीनगर पहुंचा।

कूटनीति बनाम मानवता
इस इनकार को लेकर भारत में सवाल उठने लगे हैं – क्या पड़ोसी मुल्क मानवीय संकट में भी सहयोग से पीछे हट जाएगा? विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय एविएशन प्रोटोकॉल में ऐसे मामलों में सहयोग की सिफारिश की जाती है।

इतिहास भी गवाह है
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने नागरिक विमानों को लेकर विवादास्पद निर्णय लिया हो। 2019 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अपने नागरिक विमानों को जानबूझकर भारत के मिसाइल दायरे में उड़ने की छूट दी थी।

निष्कर्ष:
विमान तो सुरक्षित पहुंच गया, लेकिन इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय मानवता और जिम्मेदारी के मुद्दे पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।

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