खबरीलाल टाइम्स डेस्क : रासायनिक अस्त्र समझौता (सीडब्ल्यूसी) 1997 में लागू हुआ। रासायनिक अस्त्र निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) रासायनिक अस्त्र समझौते के लिए कार्यान्वयन निकाय है, जिसके 193 सदस्य देश रासायनिक अस्त्रों को स्थायी रूप से और सत्यापन योग्य रूप से समाप्त करने के वैश्विक प्रयास की निगरानी करते हैं। रासायनिक अस्त्रों को खत्म करने में अपने व्यापक प्रयासों के लिए ओपीसीडब्ल्यू को 2013 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।
भारत इस समझौते का मूल हस्ताक्षरकर्ता है। नेशनल अथॉरिटी केमिकल वेपन्स कन्वेंशन (एनएसीडब्ल्यूसी) भारत में समझौते को लागू करने के लिए उत्तरदायी राष्ट्रीय प्राधिकरण है। 2024 में, एनएसीडब्ल्यूसी ने अपनी कार्यान्वयन क्षमता को सुदृढ़ बनाने के लिए ओपीसीडब्ल्यू संरक्षण/साझेदारी कार्यक्रम के तहत केन्या नेशनल अथॉरिटी को सफलतापूर्वक संरक्षणा प्रदान किया।
भारत का सबसे पुराना रासायनिक उद्योग संघ, भारतीय रासायनिक परिषद (आईसीसी) उद्योग जगत तक पहुंच प्राप्त करने के लिए एनएसीडब्ल्यूसी के साथ घनिष्टतापूर्वक काम करता है। आईसीसी के कारण भारत को गौरव प्राप्त हुआ, क्योंकि इसे रासायनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने, समझौते के अनुपालन और भारत में उद्योग-व्यापी सुरक्षा प्रथाओं को बढ़ाने में अपनी भूमिका के लिए सह-प्राप्तकर्ता के रूप में ओपीसीडब्ल्यू-द हेग पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया। यह विश्व स्तर पर पहली बार है, जब किसी रासायनिक उद्योग निकाय को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘ओपीसीडब्ल्यू-द हेग पुरस्कार’ उन व्यक्तियों और संगठनों को मान्यता देता है जो रासायनिक अस्त्र सम्मेलन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रीय प्राधिकरणों के क्षमता निर्माण के माध्यम से समझौते के कार्यान्वयन में सहायता करने के लिए ओपीसीडब्ल्यू द्वारा राष्ट्रीय प्राधिकरणों की क्षेत्रीय बैठकें प्रतिवर्ष आयोजित की जाती हैं। यह वार्षिक बैठक सीडब्ल्यूसी कार्यान्वयन के लिए अनुभव, सूचना और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करती है, और समझौते के तहत दायित्वों के अनुपालन के लिए मुद्दों और समाधानों को प्रस्तुत करने और चर्चा करने के लिए एक मंच भी प्रदान करती है जो क्षेत्रीय रूप से राष्ट्रीय प्राधिकरणों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। यह परस्पर बातचीत द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है तथा राष्ट्रीय प्राधिकरणों के बीच नेटवर्क को मजबूत करती है।
ओपीसीडब्ल्यू द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय रासायनिक अस्त्र समझौता (एनएसीडब्ल्यूसी) भारत की मेजबानी में एशिया में राज्य पक्षों के राष्ट्रीय प्राधिकरणों की 23वीं क्षेत्रीय बैठक 1 जुलाई को नई दिल्ली के वाणिज्य भवन में ओपीसीडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों, एशिया भर के राष्ट्रीय प्राधिकरणों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय के एनएसीडब्ल्यूसी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आरंभ हुई।
बैठक में एशिया क्षेत्र के 24 सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें आस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, कंबोडिया, इराक, भारत, इंडोनेशिया, जापान, जॉर्डन, किर्गिस्तान, कुवैत, लेबनान, मलेशिया, म्यांमार, मालदीव, फिलीपींस, ओमान, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम शामिल थे। साथ ही, ओपीसीडब्ल्यू और एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं निरस्त्रीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय केन्द्र (यूएनआरसीपीडी) के अधिकारी भी उपस्थित थे ।
इस क्षेत्रीय बैठक के दौरान, प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए, राष्ट्रीय कार्यान्वयन चुनौतियों, सर्वोत्तम प्रथाओं और आगे के सहयोग के अवसरों पर चर्चा की। सत्रों में विधायी ढांचे, रासायनिक सुरक्षा और सुरक्षा, रासायनिक उद्योग सहित हितधारकों की भूमिका और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग पर चर्चा की गई। ओपीसीडब्ल्यू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 और सीडब्ल्यूसी के बीच तालमेल के साथ-साथ भविष्य के मेंटरशिप पार्टनरशिप कार्यक्रमों पर चर्चा के बारे में महत्वपूर्ण अपडेट प्रदान किए।
तीन दिवसीय क्षेत्रीय बैठक से रासायनिक अस्त्र समझौते के कार्यान्वयन में एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग सुदृढ़ होने की उम्मीद है।