खबरीलाल टाइम्स डेस्क : सरकार निम्नलिखित कदम उठाकर अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है: –
गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) को पूर्ण अंतरिक्ष गतिविधियों में संलग्न होने की अनुमति देने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को उदार बनाया गया।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) की स्थापना एनजीई गतिविधियों को बढ़ावा देने, सक्षम बनाने, अधिकृत करने और निगरानी करने के लिए की गई है।
नियामकीय स्पष्टता सुनिश्चित करने और एक समृद्ध अंतरिक्ष इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष नीति – 2023, मानदंड, दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं (एनजीपी) तथा एफडीआई नीति की स्थापना की गई।
अंतरिक्ष में स्टार्टअप्स और एनजीई को समर्थन देने के लिए प्रौद्योगिकी अंगीकरण कोष निधि (टीएएफ), सीड फंड, मूल्य निर्धारण समर्थन, मेंटरशिप और तकनीकी प्रयोगशाला जैसी विभिन्न योजनाएं लागू की जा रही हैं। अब तक एनजीई के साथ 78 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 31.12.2024 तक 72 ऑथराइजेशन जारी किए गए हैं।
आईएन-स्पेस सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरीए एक पृथ्वी अवलोकन (ईओ) प्रणाली स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है।
भारतीय कम्पनियों को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करने का काम जारी है।
भारतीय संस्थाओं के लिए कक्षीय संसाधनों तक पहुंच के अवसर पैदा किए जा रहे हैं।
स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में 1000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड स्थापित करने का प्रस्ताव लेकर आई है।
लगभग 330 उद्योग/स्टार्टअप/एमएसएमई अपनी गतिविधियों को सक्षम करने के लिए इन-स्पेस से जुड़े हुए हैं, जैसे अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए प्राधिकरण, डेटा प्रसार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रचार गतिविधि, आईएन-स्पेस तकनीकी केंद्र और इसरो परीक्षण सुविधाओं तक पहुंच आदि।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।