खबरीलाल टाइम्स डेस्क : सरकार ने वस्त्र विनिर्माण को बढ़ाने, बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, नवाचार को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी को उन्नत करने पर विशेष ध्यान दिया है जिससे वैश्विक वस्त्र केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हुई है। सरकार की भूमिका अनुकूल नीतिगत माहौल सुनिश्चित करना और अपनी विभिन्न नीतिगत पहलों तथा योजनाओं के माध्यम से उद्योग और निजी उद्यमियों हेतु इकाइयां स्थापित करने लायक परिस्थितियां बनाने में सुविधा प्रदान करना है। इन हस्तक्षेपों के कारण देश भर में हथकरघा, पावरलूम, रेडीमेड गारमेंट्स, सिंथेटिक यार्न और होजरी निर्माण इकाइयां स्थापित की गई हैं।
कुल 11.14 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है और 8.43 लाख लाभार्थियों को एकीकृत कौशल विकास योजना के अंतर्गत रखा गया है।
भारत सरकार ने 15.09.1986 से एक योजना शुरू की थी, जिसका नाम वस्त्र श्रमिक पुनर्वास निधि योजना (टीडब्ल्यूआरएफएस) है। इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र में गैर-एसएसआई वस्त्र मिलों के स्थायी रूप से बंद होने के कारण बेरोजगार हुए श्रमिकों को राहत प्रदान करना है, जो योजना के तहत दिशानिर्देशों के अनुसार पात्र हैं। टीडब्ल्यूआरएफएस को श्रम और रोजगार मंत्रालय की राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना (आरजेडीकेवाई) के साथ अधिसूचना संख्या एस.ओ.1081(ई) दिनांक 06.04.2017 के तहत विलय कर दिया गया है और 01.04.2017 से टीडब्ल्यूआरएफएस को बंद कर दिया गया है। बेरोजगार हुए श्रमिक पात्रता के अधीन उपरोक्त योजना के तहत लाभ उठा सकते हैं।
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने अक्टूबर, 2021 से हथकरघा बुनकरों/श्रमिकों के बच्चों (2 बच्चों तक) को राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के घटकों में से एक, हथकरघा बुनकर कल्याण के तहत केंद्र/राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त/वित्त पोषित ‘वस्त्र संस्थान’ के 3/4 वर्षीय डिप्लोमा/स्नातक/स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अध्ययन के लिए 5,000/- रुपये प्रति माह के वजीफे सहित प्रति बच्चे प्रति वर्ष अधिकतम 2.00 लाख रुपये तक की छात्रवृत्ति के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने की पहल की है।
यह जानकारी केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।