खबरीलाल टाइम्स डेस्क : पीसीआईएमएंडएच (भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी औषधि संहिता आयोग) कार्यालय में 14 सितंबर से 29 सितंबर 2025 तक हिंदी पखवाड़े का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। हिंदी पखवाड़े की शुरुआत 14 सितंबर 2025 को हिंदी दिवस एवं पाँचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के संयुक्त आयोजन के रूप में महात्मा मंदिर कन्वेंशन एवं एग्ज़िबिशन सेंटर, गांधी नगर, गुजरात में हुई। इस अवसर पर आयोग के तीन कार्मिकों ने सहभागिता की।

पखवाड़े के दौरान, कार्यालय में हिंदी एवं हिंदीतर भाषी श्रेणियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें निबंध लेखनहिंदी शब्दकोश ज्ञान (प्रशासनिक एवं तकनीकी शब्दावली)स्वरचित काव्य रचनावाद-विवादराजभाषा अंताक्षरी, तथा हिंदी कार्य के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार सम्मिलित रहे।

25 सितंबर 2025 को हिंदी काव्य संगोष्ठी” का आयोजन पॉकेट-स्थित धन्वंतरि सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रमन मोहन सिंहनिदेशकपीसीआईएमएंडएच ने की। डॉ. स्वेता मोहन, नामित राजभाषा अधिकारी, द्वारा कार्यक्रम का समन्वयन किया गया, तथा मंच संचालन डॉ. अनुपम मौर्यवैज्ञानिक अधिकारी (रसायन) ने किया। इस अवसर पर आमंत्रित कवयित्री डॉ. अंजु लता सिंहकवि श्री राज कौशिक, एवं कवि श्री कुलदीप बरतारिया का स्वागत तुलसी पौधाशॉलएवं प्रतीक चिह्न भेंट कर किया गया।

निदेशक महोदय ने राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने हेतु सभी स्टाफ सदस्यों को अधिकाधिक हिंदी में कार्य करने हेतु प्रेरित किया और इसे सभी का उत्तरदायित्व बताया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने हिंदी साहित्य एवं कविता के माध्यम से भाषा की सरलता, सहजता एवं माधुर्य को प्रस्तुत किया, साथ ही भाषा के माध्यम से संस्कृति और संवाद शैली के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

इस आयोजन में पीसीआईएमएंडएच कार्यालय एवं डीएसआरआई (औषध मानकीकरण अनुसंधान संस्थान) के अधिकारियों सहित 110 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की। सभी प्रतियोगिताओं में कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

29 सितंबर 2025 को हिंदी पखवाड़े का समापन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें डॉ. जी.पी. गर्ग, पूर्व मुख्य रसायनज्ञ, आयुष विभाग, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन सफलतापूर्वक एवं उत्साह के साथ किया गया, जो कार्यालय में राजभाषा हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।

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