इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने कहा कि हाल के वर्षों में केजरीवाल की बदलती राजनीतिक रणनीति, जैसे पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल होना और फिर अकेले दिल्ली चुनाव लड़ने का फैसला करना भी आप के खराब प्रदर्शन का एक मुख्य कारण रहा।
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि आम आदमी पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण 10 साल की सत्ता विरोधी लहर रही। दूसरी और शायद सबसे बड़ी गलती केजरीवाल का इस्तीफा देना था। दरअसल, केजरीवाल को शराब नीति मामले में गिरफ्तार होने पर ही इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन जमानत मिलने के बाद और चुनाव से पहले किसी और को मुख्यमंत्री बनाना उनके लिए बड़ी रणनीतिक भूल साबित हुई।
आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है। 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीटें जीतकर भाजपा ने आम आदमी पार्टी के 10 साल के शासन का अंत कर दिया। वहीं, आप महज 22 सीटों पर सिमट गई है। जबकि कांग्रेस लगातार तीसरी बार अपना खाता खोलने में विफल रही।
‘केजरीवाल की बदलती नीतियों ने नुकसान पहुंचाया’
प्रशांत किशोर ने कहा कि केजरीवाल की लगातार बदलती राजनीतिक रणनीतियों ने उनकी साख को कमजोर किया। पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल होना और फिर उससे बाहर निकलना उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला था। इसके अलावा हाल के वर्षों में उनका प्रशासनिक मॉडल भी कमजोर हुआ। चुनाव रणनीतिकार ने कहा कि दिल्ली में पिछले मानसून के दौरान निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हुई परेशानियों ने आप सरकार की प्रशासनिक विफलताओं को उजागर कर दिया। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की परेशानियों ने केजरीवाल सरकार की कार्यशैली को सवालों के घेरे में ला दिया और यह उनके लिए नुकसानदेह साबित हुआ।
‘केजरीवाल के पास दिल्ली से बाहर विस्तार का मौका’
प्रशांत किशोर ने कहा कि इस हार को केजरीवाल के लिए एक नए अवसर के तौर पर देखा जा सकता है, उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप के लिए राजनीतिक वापसी करना मुश्किल होगा, लेकिन अब केजरीवाल के पास सरकार चलाने की जिम्मेदारी नहीं है। वह इस समय का इस्तेमाल गुजरात जैसे राज्यों में आम आदमी पार्टी का विस्तार करने के लिए कर सकते हैं, जहां पार्टी ने पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था।